Glories of India

ब्रिटेन ने अचानक भारत को आज़ादी क्यों दे दी?

  1. ब्रिटेन हो चुका था कंगाल

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन की आर्थिक रीढ़ टूट चुकी थी।
लंदन बमों से तहस-नहस था, खजाना खाली था। भारत अब दौलत का नहीं, बोझ का प्रतीक बन गया था।
अब वे न खुद को चला सकते थे, न भारत पर शासन कर सकते थे।

  1. भारत में क्रांति का विस्फोट

गांधी जी के भारत छोड़ो आंदोलन‘ (1942) ने ब्रिटिश शासन को हिला दिया,
लेकिन असली डर तो था हथियारबंद विद्रोह का।

  • सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिंद फौज ने क्रांति की चिंगारी फैला दी।
  • 1946 की नौसेना विद्रोह में 20,000 भारतीय सिपाही अपने ही ब्रिटिश अफसरों के खिलाफ खड़े हो गए।
  • मजदूर, छात्र और किसान – पूरा भारत आग के गोले की तरह जल रहा था।
  1. दुनिया बदल चुकी थी
  • संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांत अब स्वराज्य की मांग करते थे।
  • अमेरिका और रूस अब औपनिवेशिक शासन के खिलाफ थे।
  • ब्रिटेन को डर था कि भारत में दमनकारी नीति अब वैश्विक शर्मिंदगी में बदल जाएगी।

  1. ब्रिटेन की सत्ता बदली – सोच बदली

1945 में क्लेमेन्ट एटली के नेतृत्व में लेबर पार्टी सत्ता में आई। उन्होंने महसूस किया:

अब भारत को जबरन रोकना संभव नहीं। बेहतर होगा कि उसे स्वतंत्रता दी जाए।

लेकिन ये निर्णय आदर्श नहीं, मजबूरी का परिणाम था।
वे जानते थे – अगर अब नहीं गए तो पूरे भारत में सशस्त्र क्रांति फूट पड़ेगी।

  1. आज़ादी की कीमत – विभाजन

ब्रिटेन ने अपने अंतिम दांव के रूप में फूट डालो और राज करो की नीति अपनाई।

  • बिना योजना के भारत को दो हिस्सों में जल्दबाज़ी में बाँटा गया।
  • 15 अगस्त 1947 को आज़ादी मिली – लेकिन साथ में मिला विभाजन का ज़ख्म
  • लाखों लोग मारे गए, करोड़ों बेघर हो गए।

सच्चाई यही है…

ब्रिटेन ने हमें आज़ादी नहीं दी – वह भाग खड़ा हुआ।
भारत का जनमानस बग़ावत की ज्वाला बन चुका था।
ये आज़ादी खैरात नहीं थी – बलिदान, संघर्ष और साहस से छीनी गई थी।

अब सच्चाई को उजागर करें।
हमारी नई पीढ़ी को बताएं –
हमने आज़ादी माँगी नहीं, ली थी।