प्रस्तावना: भविष्यवाणी या वर्तमान का षड्यंत्र?
‘ग़ज़वा-ए-हिंद‘ सिर्फ़ एक भविष्यवाणी नहीं है, यह एक चरमपंथी सोच है—एक धार्मिक युद्ध का आह्वान जिसमें भारत को जीतने और उस पर इस्लामी शासन स्थापित करने की बात कही जाती है। यह विचारधारा, जो 7वीं सदी के हदीसों से निकली है, आज आतंकवादियों के लिए प्रेरणा बन गई है।
लेकिन यह सिद्धांत केवल किताबों तक सीमित नहीं रहा। पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों में पले-बढ़े कई आतंकवादी संगठन इसे अपनी ‘पवित्र जंग‘ मानकर भारत के खिलाफ लड़ाई छेड़े हुए हैं।
ग़ज़वा-ए-हिंद क्या है?
‘ग़ज़वा’ का अर्थ होता है—पैगंबर द्वारा लड़ी गई लड़ाई। ‘ग़ज़वा-ए-हिंद‘ उस भविष्यवाणी को दर्शाता है जिसमें पैगंबर मुहम्मद ने कथित रूप से कहा था कि एक दिन उनकी उम्मत (समुदाय) भारत पर विजय प्राप्त करेगी।
यह विचार विभिन्न आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, अल-कायदा और तालिबान द्वारा धार्मिक युद्ध के औजार के रूप में उपयोग किया जा रहा है।
विवादित हदीस
यह भविष्यवाणी एक विवादित हदीस में इस प्रकार वर्णित है:
“मेरी उम्मत के दो समूहों को अल्लाह ने दोज़ख़ से सुरक्षित रखा है: एक वह जो भारत को जीतेंगे और एक जो ईसा मसीह के साथ दमिश्क में रहेंगे।”
– सुन्नन अल-नसाई
हालाँकि अधिकांश इस्लामी विद्वान इसे प्रतीकात्मक मानते हैं, लेकिन आतंकवादी इसे शाब्दिक रूप से लेकर जिहाद को सही ठहराते हैं।
पाकिस्तान की ऐतिहासिक मानसिकता
पाकिस्तान की स्थापना से ही उसकी विचारधारा में भारत-विरोधी दृष्टिकोण शामिल रहा है। कश्मीर को लेकर उसकी नफरत ग़ज़वा-ए-हिंद के एजेंडे का एक हिस्सा है।
आतंकवादी संगठनों द्वारा इसका दुरुपयोग
ग़ज़वा-ए-हिंद को आतंकी संगठनों द्वारा युवाओं को ब्रेनवॉश करने में एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। जैसे:
अंतिम उद्देश्य: भारत पर इस्लामी शासन
ग़ज़वा-ए-हिंद का मकसद सिर्फ़ एक युद्ध नहीं है, बल्कि:
भारत का इतिहास: हमलावरों के ख़िलाफ़ सतत संघर्ष
भारत ने महमूद ग़ज़नी, मोहम्मद ग़ौरी, बाबर और अंग्रेजों का सामना किया है। लेकिन यह देश कभी नहीं टूटा। ग़ज़वा-ए-हिंद उसी मानसिकता का नया रूप है—आधुनिक विचारधारा में लिपटा एक पुराना हमला।
राजनैतिक चुप्पी: सबसे बड़ा खतरा
जब कोई ग़ज़वा-ए-हिंद की बात करता है, तो उसे ‘इस्लामोफोबिक’ कहकर चुप करा दिया जाता है। लेकिन सच्चाई को नकारना खतरनाक है। जैसे पश्चिम ने हिटलर की चेतावनी को नजरअंदाज किया था, वैसे ही यह चुप्पी विनाशकारी हो सकती है।
क्या किया जाना चाहिए?
भारत को कई स्तरों पर इस खतरे से निपटना होगा:
निष्कर्ष: भारत एक विचार है, जिसे मिटाया नहीं जा सकता
भारत सिर्फ़ एक देश नहीं, एक सभ्यता है जो हजारों वर्षों से चमक रही है। ग़ज़वा-ए-हिंद जैसे षड्यंत्र भारत को तोड़ नहीं सकते। हम एक बार फिर जागरूक होंगे, एकजुट होंगे, और अंधेरे विचारधाराओं को परास्त करेंगे।
🔥 नारा:
“हिमालय से कन्याकुमारी तक गूंजेगा एक ही संदेश—भारत फिर से किसी आक्रांता का गुलाम नहीं बनेगा, ना तलवार से, ना विचारधारा से।”