ताजमहल – सौंदर्य, प्रेम और भक्ति का प्रतीक। लेकिन क्या यह वाकई शाहजहाँ द्वारा बनवाया गया मकबरा है या एक ऐसा प्राचीन शिव मंदिर जिसे जयपुर के राजा जय सिंह से जबरन छीना गया?
इतिहासकार पी.एन. ओक के अनुसार, ताजमहल वास्तव में ‘तेजो महालय’ है – एक प्राचीन शिव मंदिर, जिसे शाहजहाँ ने हथिया लिया और अपनी पत्नी मुमताज़ की कब्र के रूप में दुनिया को दिखाया।
हिंदू मंदिर में जूते उतारना अनिवार्य होता है। कब्रगाहों में इसकी आवश्यकता नहीं। इसका मतलब ताजमहल में यह परंपरा मुगल काल से पूर्व की है।
पी.एन. ओक के अनुसार, ताजमहल असल में नागनाथेश्वर महादेव था – जो कि आगरेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध था। शिव की पूजा करने वाले जाट समुदाय में आज भी तेजाजी की पूजा की जाती है। ताजमहल को वे तेज मंदिर कहते हैं।
ब्रिटिश शासनकाल और स्वतंत्र भारत के धर्मनिरपेक्ष इतिहासकारों ने भारत के गौरव को दबाने के लिए इसे प्रेम की निशानी बना दिया।
इतिहास की सच्चाई जानने से संवेदनाएँ आहत हो सकती हैं, लेकिन क्या हम सिर्फ इसलिए झूठ से चिपके रहें?
ताजमहल की वास्तविकता केवल एक स्मारक की पहचान नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक स्मृति की बहाली है। यह समय है कि हम मांग करें: