Glories of India

क्या बिग बैंग एक बड़ा धोखा था? ब्रह्मांड की सच्चाई और भारत की सनातन दृष्टि

बिग बैंग सिद्धांत की खामियाँ और भारतीय दृष्टिकोण

  1. सिंगुलैरिटीएक अजीब शुरुआत

बिग बैंग सिद्धांत उस बिंदु से शुरू होता है जहाँ विज्ञान के नियम समाप्त हो जाते हैंपरंतु भारतीय दृष्टिकोण में सृष्टि किसीशून्यसे नहीं, बल्कि प्रकृति (संख्य दर्शन) या ब्रह्म (वेदांत) जैसे शाश्वत तत्वों से उत्पन्न होती है

  1. क्षितिज समस्यासमान तापमान कैसे?बिग बैंग बनाम भारतीय अनंत ब्रह्मांड

बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड की उत्पत्ति लगभग 13.8 अरब वर्ष पूर्व एक असीम रूप से गर्म और सघन बिंदु से हुईवहीं भारतीय दर्शन, विशेषकर वेद, उपनिषद, संख्य अद्वैत वेदांत, ब्रह्मांड को अनादि और अनंत मानते हैंजिसमें सृष्टि का कोई एक आरंभ नहीं, बल्कि निरंतर सृजन और संहार का चक्र है
कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड में समान तापमान, दूरदूर के क्षेत्रों में कैसे संभव है? “इंफ्लेशन थ्योरीइसका उत्तर देती है, परंतु ठोस प्रमाण नहीं हैभारत का ऋत सिद्धांत इस सार्वभौमिक समरसता को प्राकृतिक नियम के रूप में देखता है

  1. समतलता समस्या

ब्रह्मांड की समतलता इतने सटीक प्रारंभिक परिस्थितियों की मांग करती है कि यह संयोग नहीं हो सकताभारतीय ऋषियों के अनुसार यह संतुलन ऋत या प्राकृतिक व्यवस्था का ही प्रमाण है

  1. डार्क मैटर और डार्क एनर्जीअदृश्य सत्ता

बिग बैंग सिद्धांत ब्रह्मांड को समझाने के लिए अदृश्य डार्क मैटर और एनर्जी पर निर्भर हैपरंतु भारतीय दृष्टिकोण सूक्ष्म तत्वों और ऊर्जाओं को सदैव मान्यता देता आया है

  1. प्रारंभिक विशाल गैलेक्सीसमय रेखा का संकट

बहुत शीघ्र उत्पन्न हुई विशाल गैलेक्सियाँ इस सिद्धांत की समयरेखा को चुनौती देती हैंक्या यह भारत के कल्पों और युगों के अनुसार ब्रह्मांड के लंबे कालचक्र की पुष्टि नहीं है?

क्या यह षड्यंत्र था? भारतीय ज्ञान को छुपाना

बिग बैंग जैसी सिद्धांत पश्चिमी विचारधारा की रेखीय समय दृष्टि को पोषित करता हैएक आरंभ और अंतइसके विपरीत भारतीय विचार समय को चक्र रूप में देखता हैक्या यहविज्ञानभारत के ज्ञान को दबाने का औजार बन गया?

भारत का ब्रह्मांड विज्ञानसच्चा विकल्प

  • कल्प और युग: कल्पों के अनंत चक्र ब्रह्मांड के निरंतर सृजन और संहार को दर्शाते हैं
  • ब्रह्म या प्रकृति: संख्य और वेदांत दर्शन में सृष्टि किसीकुछ नहींसे नहीं, बल्कि शाश्वत तत्व से उत्पन्न होती है
  • चेतना ही मूल है: अद्वैत वेदांत के अनुसार ब्रह्मांड चेतना का ही विस्तार है कि उसका परिणाम
  • वसुधैव कुटुंबकम: हर तत्व एकदूसरे से जुड़ा है, यही भारतीय सोच है

निष्कर्ष: असली ब्लंडर क्या है?

शायद बिग बैंग कोई वैज्ञानिक भूल नहीं, बल्कि हमारी सोच की गलती हैजब हम अनंत कालचक्र को भूल एक सीमित आरंभ पर जोर देते हैं, तब हम उस ब्रह्मांडीय नृत्य को नकारते हैं जो भारत ने हजारों वर्षों से समझा है